नई दिल्ली. विद्यार्थी–वैज्ञानिक संपर्क कार्यक्रम-‘’जिज्ञासा’’ कार्यक्रम का आज राष्ट्रीय राजधानी में आधिकारिक तौर पर शुभारंभ किया गया. वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सीएसआईआर) केन्द्रीय विद्यालय संगठन के साथ मिलकर इस कार्यक्रम का कार्यान्वयन करेगी। इसमें स्कूल के विद्यार्थियों और वैज्ञानिको को आपस में जोड़ने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, ताकि विद्यार्थियों को कक्षा में सिखाई गई बातों को योजनाबद्ध अनुसंधान प्रयोगशाला पर आधारित शिक्षण के साथ समुचित रूप से जोड़ा जा सके.
विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान एवं पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन तथा मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की उपस्थिति में इस आशय के सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए.
इस अवसर पर अपने संबोधन में डा0 हर्षवर्धन ने कहा कि जिज्ञासा कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नवीन भारत के विज़न और वैज्ञानिक समुदाय और संस्थाओं के ‘’वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व’’ (एसएसआर) से प्रेरित है. यह एक ऐतिहासिक दिन है जब दो मंत्रालय युवाओं के संबंध में सहयोग कर रहे हैं, जो राष्ट्र का भविष्य हैं.
इस अवसर पर अपने संबोधन में केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि ‘’विद्यार्थियों में वैज्ञानिक अभिरूचि अंतर्निविष्ट करने के लिए हमें उन्हें समाज पर विज्ञान के प्रभाव के बारे में जागरूक बनाना होगा।’’ हमारी जीवन शैली में बदलाव लाने में विज्ञान ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. डा0 हर्षवर्धन और सीएसआईआर का आभार प्रकट करते हुए जावड़ेकर ने कहा कि इन प्रमुख संस्थाओं तक पहुंच केवल शुरूआत भर है। सीएसआईआर वैज्ञानिक विकास के उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिभाशाली विद्यार्थियों की तलाश करेगी। उन्होंने बताया कि वह समय-समय पर इसकी स्थिति का जायज़ा लेंगे.
सीएसआईआर कई दशकों से देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान दे रही है. सीएसआईआर मानव संसाधन विकास विशेषकर विभिन्न क्षेत्रों में पीएचडी कार्यक्रमों के माध्यम से युवा शोधकर्ताओं को प्रशिक्षण देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.
‘’जिज्ञासा’’ जहां एक ओर स्कूल के विद्यार्थिओं और उनके अध्यापकों में जिज्ञासा की संस्कृति को, वहीं दूसरी ओर वैज्ञानिक अभिरूचि को अंतर्निविष्ट करेगी। इस कार्यक्रम के अंतर्गत 100,000 विद्यार्थियों और लगभग 1000 अध्यापको को सालाना तौर पर लक्षित करते हुए 1151 केन्द्रीय विद्यालयों को सीएसआईआर की 38 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं के साथ जोड़े जाने की संभावना है.
यह कार्यक्रम विद्यार्थियों और अध्यापको को सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं का दौरा कर और लघु विज्ञान परियोजनाओं में भाग लेकर विज्ञान में पढ़ाई जाने वाली सैद्धांतिक अवधारणाओं को व्यवहारिक अनुभव करने में सक्षम बनाएगा.