राष्ट्रीय क्रांतिकारी समाजवादी पार्टी के तत्वाव्धान में 14 फरवरी कों लखनऊ में किसानों के मसीहा स्वन्त्रता संग्राम सेनानी स्वामी सहजानन्द की 129वी जंयती मनायी जाएगी एवं जी.पी.ओं. पार्क में स्वामी जी की प्रतिमा लगाने की मुख्यमंत्री योगी से होगी मांग।
कार्यक्रम के संयोजक गोपाल राय ने बताया की स्वामी जी का 1889 महाषिवरात्रि के दिन उत्तर प्रदेष के गाजीपुर जनपद के देवाग्राम में जन्म हूआं था, 1936 में अखिल भारतीय किसानसभा का स्वामी जी ने गठन किया था, 1940 में 20 मार्च को रामगढ़ बिहार में सुबाशचन्द्र बोस की अध्यक्षता में अखिल भारतीय समझौता विरोधी सम्मेलन के स्वागताध्यक्ष भाशण के दौरान 3 वर्श का जेल हुओं था।
भारत में संगठित किसान आंदोलन खड़ा करने का श्रेय स्वामी सहजानंद सरस्वती को जाता है. उन्होंने अंग्रेजी दासता के खिलाफ लड़ाई लड़ी और किसानों को जमींदारों के शोषण से मुक्त कराने के लिए निर्णायक संघर्ष किया, दण्डी संन्यासी होने के बावजूद सहजानंद ने रोटी को हीं भगवान कहा और किसानों को भगवान से बढ़कर बताया. स्वामीजी ने नारा दिया था-जो अन्न-वस्त्र उपजाएगा, अब सो कानून बनायेगां, ये भारतवर्ष उसी का है, अब शासन वहीं चलायेगा। ऐसे महान नेता, युगद्रष्टा और किसानों के मसीहा सन् 1929 में उन्होंने बिहार प्रांतीय किसान सभा की नींव रखी. इस मंच से उन्होंने किसानों की कारुणिक स्थिति को उठाया। जमींदारों के शोषण से मुक्ति दिलाने और जमीन पर रैयतों का मालिकानंा हक दिलाने की मुहिम शुरू की। इस रूप में देखें तो भारत के इतिहास में संगठित किसान आंदोलन खड़ा करने और उसका सफल नेतृत्व करने का एक मात्र श्रेय स्वामी सहजानंद सरस्वती को जाता है। गोपाल राय ने कहा कि किसानों को शोषण मुक्त करने और जमींदारी प्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए स्वामी जी 26 जून ,1950 को महाप्रयाण कर गये। उनके जीते जी जमींदारी प्रथा का अंत नहीं हो सका. लेकिन उनके द्वारा प्रज्जवलित ज्योति की लौ आज भी बुझी नहीं है. आजादी मिलने के साथ ही जमींदारी प्रथा को कानून बनाकर खत्म कर दिया गया. लेकिन प्रकारांतर से देश में किसान आज भी शोषण -दोहन के शिकार बने हुए हैं. कर्ज और भूख से परेशान किसान आत्महत्या कर रहे हैं। वर्तमान स्थिति यह है कि देष भर की भुख षान्त करने वाला आज खुद भुखा मर रहा है। स्वामी जी की 129वीं जयंती पर उनकी स्मृति में आयोजित की गई है।