तस्करों पर आई शामत
यह बदलाव की बयार है…।
इसमें न केवल नशे की दलदल से बाहर निकलने की छटपटाहट है,
बल्कि जिन्होंने यह जानलेवा लत लगाई है उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचाने की तिलमिलाहट भी है।
वास्तव में यह डर के आगे जीत है…,और यही सोच लोगों में साहस भर रहा है।
फिर नशा बेचने व तस्करी करने वालों की शामत आ गई और लोग इनके नाम उजागर करने लगे हैैं।
यह तभी संभव हो सका है जब नशा करने वालों को कोई मदद का हाथ मिला है
और तस्करों का नाम बताने की हिम्मत करने वालों को सुरक्षा का भरोसा मिला।
यह भरोसा जिला प्रशासन ने दिया है।
प्रशासन के हरकत में आने के बाद पुलिस भी सक्रिय हुई है।
नशे की बिक्री का नेक्सस तोड़ने के लिए लोग भी आगे आए हैं।
प्रशासन की तेजी का ही नतीजा है कि अब तक जिले में 44 नशा तस्करों के नाम व
रिहायश समेत अन्य ब्यौरे की सूची प्रशासन के पास पहुंच चुकी है।
नशे के जाल में फंसे युवा अपनी जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं।
डिप्टी कमिश्नर कमलदीप सिंह संघा की तरफ से जब यह सूची पुलिस को कार्रवाई के लिए भेजी गई
तो सामने आया कि वे लोग अंडरग्राउंड हो चुके हैं।
संघा की ओर से नशा तस्करों के खिलाफ और
नशेडिय़ों को मुख्यधारा में लाने के लिए छेड़े गए अभियान के बाद लोग भी इसका महत्व समझने लगे हैं।
जिला प्रशासन की तरफ से नशे के खात्मे और नशेडिय़ों के पुनर्वास के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
इन कार्यक्रमों के तहत नशे की गिरफ्त में जकड़े युवकों को भी बुलाया जाता है।
पिछले दिनों इस तरह के कार्यक्रम में पहुंचे नशा करने वालों ने बताया कि कुछ लोग उन्हें प्रशासन के पास जाने से रोक रहे हैं।
उन्हें कहा जा रहा है कि वे जब डिप्टी कमिश्नर या एसडीएम्ज के पास पहुंचेंगे तो उनके साथ मारपीट की जाएगी।
उपचार फ्री, खाना दे रही एसजीपीसी
उधर, प्रशासन साथ है तो न नशा छोड़ने की इच्छा दब रही है न ही नशा तस्करों को पकड़वाने की।
अमृतसर में डिप्टी कमिश्नर कमलदीप सिंह संघा की पहल के बाद नशा करने वाले 65 युवा अपने इलाज को आगे आए हैं।
इन्हें उपचार के लिए दाखिल करवाया गया है।
सरकारी खर्चे पर इनका इलाज किया जा रहा है और इनके लिए खाना शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की तरफ से आ रहा है।
नशे में धुत युवा लड़के और लड़कियों की तलाश कर उनको इससे बाहर निकालने की मुहिम चल रही है।
संघा बताते हैैं कि नशेड़ी युवाओं को ट्रेनिंग देकर उनकी योग्यता के मुताबिक रोजगार मुहैया करवाए जाने की भी योजना है।
इन युवकों के परिजनों की भी काउंसिलिंग जरूरी है क्योंकि ऐसा न हो कि ये लोग फिर नशे की ओर आकर्षित हों।