सूर्य के सबसे करीब पहुंचने को तैयार प्रोब

मानव इतिहास में 65 लाख किमी की यात्रा कर सूर्य के सबसे करीब पहुंचने को तैयार प्रोब

मानव इतिहास में पहली बार सूर्य के सबसे करीब पहुंचने की तैयारी अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कर ली है।

अगले हफ्ते इसकी शुरुआत हो जाएगी।

एजेंसी ने बताया कि 11 अगस्त से शुरू हो रहे पार्कर सोलर मिशन में कार के आकार का एक अंतरिक्ष यान सीधे सूर्य के कोरोना के चक्कर लगाएगा।

यह यान पृथ्वी की सतह से 65 लाख किमी की दूरी पर और अब तक भेजे गए अंतरिक्ष यानों के मुकाबले सूर्य से सात गुना करीब होगा।

नासा के मिशन का उद्देश्य कोरोना के पृथ्वी की सतह पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन करना है।

स्पेसक्राफ्ट के जरिये कोरोना की तस्वीरें ली जाएंगी और सतह का मापन किया जाएगा।

मिशन की सफलता के लिए बीती 30 जुलाई को केप केनवेरल एयर फोर्स स्टेशन पर स्पेसक्राफ्ट की पूरी जांच की गई।

इसके बाद इसे लांच व्हीकल पर रखा गया।

थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम अहम 

नासा के इस मिशन के लिए सबसे बड़ी चुनौती सूर्य का तापमान है।

अत्यधिक ताप के कारण ही आजतक कोई स्पेसक्राफ्ट सूर्य करीब नहीं जा सका है।

नासा ने ऐसा थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम तैयार करने में सफलता हासिल कर ली है जिससे स्पेसक्राफ्ट को कोई नुकसान नहीं होगा।

क्‍या है पार्कर सोलर प्रोब


नासा के अनुसार, पार्कर सोलर प्रोब एक रोबोटिक स्पेसक्राफ्ट है।

इसे छह अगस्त को फ्लोरिडा प्रांत के केप कैनावेरल से प्रक्षेपित किया जाएगा।

यह अंतरिक्षयान दूसरे यानों की तुलना में सूर्य के सात गुना ज्यादा करीब जाएगा।

जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के प्रोजेक्ट वैज्ञानिक निकोल फॉक्स ने शुक्रवार को पत्रकारों से कहा,

‘प्रोब को इस तरह की कठोर परिस्थितियों में भेजने की उच्च महत्वाकांक्षा है।’

सूर्य के करीब गया था हेलिअस-2

जर्मनी की अंतरिक्ष एजेंसी और नासा ने मिलकर साल 1976 में सूर्य के सबसे करीब हेलिअस-2 नामक प्रोब भेजा था। यह प्रोब सूर्य से 4.30 करोड़ किमी की दूरी पर था।

धरती से सूर्य की औसत दूरी 15 करोड़ किमी है।

अंतरिक्ष के वातावरण की हो सकेगी भविष्यवाणी

नासा को उम्मीद है कि इस प्रोब से वैज्ञानिक धरती के वातावरण में होने वाले बदलावों की भविष्यवाणी करने में सक्षम हो सकेंगे।

नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के सौर वैज्ञानिक एलेक्स यंग ने कहा,

‘अंतरिक्ष के वातावरण का अनुमान लगाना हमारे लिए बुनियादी रूप से अहम है।

अंतरिक्ष में बहुत खराब मौसम होने से धरती पर हमारे पॉवर ग्रिड पर असर पड़ सकता है।’