दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली की आप सरकार से कहा है कि वे दिल्ली में पाल्यूशन फैलाने वाली गाड़ियों के खिलाफ कुछ तो करें। इन सरकारों से कहा है कि वे ऐसा माहौल बनाने की कोशिश करें कि दिल्ली में लोगों को कानून पर अमल करने का कल्चर मिल सके।
एक्टिंग चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस हरीशंकर की बेंच ने कहा कि दिल्ली में ऐसा लगता है कि सब कुछ खुला छूटा हुआ है और पाल्यूशन कंट्रोल के लिए कोई कानून ही लागू नहीं होता। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में पाॅल्यूशन पर कंट्रोल करने के लिए कोई खास अभियान चलाने की जरूरत नहीं है। जरूरत इस बात की है कि लोग कानून का पालन करें। अगर कानून का पालन करें तो उतने में ही काम हो जाएगा। दरअसल दिल्ली में ऐसा कल्चर बनाने की जरूरत है जिससे लोगों को महसूस हो कि हमें कानून का पालन करना है। अदालत में मौजूद दिल्ली सरकार के वकील गौतम नारायण ने अदालत को विश्वास दिलाया कि इस दिशा में जल्दी ही कदम उठाए जाएंगे और उनका असर भी नजर आएगा। दरअसल हाई कोर्ट एक एनजीओ की एक पटिशन पर सुनवाई कर रही है जिसमें कहा गया है कि दिल्ली में गाड़ियों के पाॅल्यूशन बढ़ने का सबसे बड़ा कारण यह है कि यहां किसी नियम पर अमल ही नहीं होता। मोटर व्हीकल एक्ट1988 में जो नियम दिए गए हैं, उन पर कोई अमल ही नहीं करता। यहां तक कि गाड़ियों के पीयूसी सर्टिफिकेट भी जारी नहीं किए जाते और सरकारी एजेंसियों को भी इसका सब पता है। कोर्ट ने दिल्ली की आप सरकार से कहा है कि वह चार हफ्ते में ही रिपोर्ट फाइल करे। मामले की अगली सुनवाई 31अक्टूबर को होगी।