दिल्ली यूनिवर्सिटी के 28 काॅलेजों का फंड रोके जाने के मामले में दिल्ली में सियासत गर्म हो गई है। जहां विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने इस मामले में उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात की है, वहीं दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सीएजी से इन काॅलेजों के खातों की जांच के लिए लिख दिया है। उनका कहना है कि इन काॅलेजों में भर्तियों के साथ-साथ भारी हेरफेर किया गया है और इसी लिए काॅलेजों की गवर्निंग बाडी नहीं बनाई जा रही।
दिल्ली यूनिवर्सिटी के 28 काॅलेजों में दिल्ली सरकार की गवनिंग बाॅडी बनाई जाती हैं। इन काॅलेजों में दस महीने पहले गवर्निंग बाॅडी खत्म हो गई थीं और उसके बाद से डीयू गवर्निंग बाॅडी नहीं बना रही। डीयू का कहना है कि दिल्ली सरकार नियमों को तोड़कर गवर्निंग बाॅडी बनवाना चाहती है और ऐसा नहीं हो सकता। गवर्निंग बाॅडी में 50 फीसदी मेंबर दिल्ली सरकार के होते हैं और 50 फीसदी डीयू के। आमतौर पर सरकार के जो भी मेंबर होते हैं वे उसी पार्टी के होते हैं जो सत्ता में होती है।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने 15 जुलाई को कहा था कि अगर 15 दिन में गवर्निंग बाॅडी नहीं बनाई गई तो इन काॅलेजों का फंड रोक दिया जाएगा। अब सोमवार को दिल्ली सरकार ने अपने फाइनेंस विभाग को फंड रोकने के लिए कह दिया है। इन काॅलेजों का फंड रोके जाने से टीचर्स और कर्मचारियों की सैलरी भी रुक जाएगी।
इन हालात को देखते हुए दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने मंगलवार को उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात की और कहा कि अपनी राजनीति के कारण दिल्ली सरकार काॅलेजों को ठप्प करने जा रही है। इसलिए उपराज्यपाल अपनी तरफ से कदम उठाएं।
जाहिर है कि दिल्ली में राजनीतिक टकराव के कारण हर कदम पर अब मुश्किलें पैदा हो रही हैं और ये 28 काॅलेज भी इसका शिकार हो रहे हैं।