उत्तर प्रदेश में ‘विवाह पंजीकरण’ को अनिवार्य किये जाने को लेकर मुस्लिम उलेमा और मुस्लिम समाजसेवी इसे गैर मुनासिब बता रहे हैं।
उनका कहना है कि मुस्लिम समाज में होने वाला निकाहनामा ही अपने आप में एक पंजीकरण है इस दौरान तमाम प्रक्रियाएं पूरी हो जाती है जो अपने आप में एक मुकम्मल पंजीकरण है इसलिए मुसलमानों के लिए विवाह पंजीकरण अनिवार्य नहीं होना चाहिए बल्कि निकाहनामा को ही पंजीकरण का दर्जा दे देना चाहिए।
ऑल इंडिया तंजीम उलेमा-ए-इस्लाम के बैनर तले मुस्लिम विवाह पंजीकरण को अनिवार्य किये जाने के हुक्म को लेकर मुस्लिम उलेमाओं की दिल्ली में मीटिंग होगी। मीटिंग का एजेंडा तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्य मंत्री आदित्यनाथ योगी का यह कहना कि जो मुस्लिम विवाह पंजीकरण नहीं कराएँगे उन्हें प्रदेश सरकार की सुविधाएं नहीं मिलेंगी। यह भारत के संविधान कि उल्लंघन है। भारत के नागरिक को संविधान प्रदत्त सुविधाओं से वंचित करना नाइंसाफ़ी है।
उन्होंने कहा कि देश के तमाम उलेमाओं को दिल्ली की बैठक में आने की दावत दी गयी है। मीटिंग की तारीख तय करने के लिये उलेमाओं से बात हो रही है।